Tuesday, October 29, 2013

मोदी को और 'मजबूत' बनाएंगे 'धमाके'


सोमदत्त शर्मा
पटना रैली में हुए अप्रत्याशित धमाके आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा और मोदी, दोनों को फायदा पहुंचाएगे। हो सकता है कि भाजपा के लिए ट्रंप कार्ड भी साबित हों। क्योंकि इनमें आतंकी संगठन आईएम का हाथ होने की पुष्टि के बाद लोगों का मोदी से भावान्मक लगाव बढ़ा है और इसका संदेश जन-जन तक पहुंचा है। जो कि मोदी-भाजपा की हिंदुत्व वादी छवि और उनके स्लोगन नेशन फर्स्ट को मजबूत करेगा।
तीन दशक पीछे की राजनीति को हम ध्यान में रखकर देखें तो इंद्रा गांधी और राजीव गांधी की आतंकी घटनाओं में मृत्यु के बाद कांग्रेस के समर्थन में पूरे देश में एक लहर बनी थी। ठीक उसी प्रकार का संदेश पटना धमाकों के बाद आम जनता में गया है। इसके कारण आने वाले समय में मोदी के संबंध में लोगों में उत्सुकता बढ़ेगी जो कि वोट के रूप में भी तब्दील हो सकती है। 
इन सीरियल ब्लास्टों के बाद लोगों में एक सामान्य सा संदेश गया है की आतंकवादी मोदी को पीएम बनते नहीं देखना चाहते। जो कि भाजपा के पक्ष में झुकाव का बड़ा कारण बन सकता है। भले पूरे भारत में न सही लेकिन हिंदी भाषी और उत्तर भारत में भाजपा के पक्ष में लहर उठेगी ये निश्चित है।वहीं, धमाकों के बीच आकर मोदी का लोगों को संबोधित करना बड़ा और सकारात्मक पहलू है। बिना घबराए जान की परवाह किए बगैर जिन परिस्थितियों में मोदी लोगों के बीच पहुंचे और जिस प्रकार से लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की वह काबिले तारीफ है। इससे मोदी की छवि देश के राजनेताओं से इतर बनेगी और मोदी की स्वीकार्यता बढ़ाएगी। जो वोट बैंक(दलित) अभी तक थोड़ा दूर था वो भाजपा के नजदीक आ सकता है। साथ ही मोदी की हिंदुत्व की छवि को और मजबूत करेगा।
बीजेपी इस घटना को चुनावों में कितना भुनाती है ये तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इतना निश्चित है कि आगामी 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा इन धमाकों की ठीक उसी तरह से तस्वीर बनाने की कोशिश करेगी जो कि पूरे देश में इंद्रा गांधी और राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उभरी थी।
(29.10.13, घटना के दो दिन बाद)

Wednesday, October 9, 2013

मतदाताओं के नाम

मतदाताओं के नाम
स्वप्न वैसा ही देखना चाहिए जो पूरा हो सके, जिसके अनुरूप पुरूषार्थ किया जा सके। कल्पना और आशा की अधिकता आदमी को भटका देती है। यथार्थ के ठोस धरातल पर कदम रखने वाला ही अपनी मंजिल तक पहुँच सकता है। इसके लिए भगवान बनने की धुन छोड़ कर मनुष्य बनने का लक्ष्य सामने रखना चाहिए।“
दुर्भाग्य से मतदाता को ईश्वर बनाने का, स्वप्न नेताओं द्वारा चुनावों से ठीक पहले दिखाया जाता है और सचमुच में ईश्वर बन गया हूँ ऐसा मतदाता समझ भी लेता है। मतदाता चुनाव तक कुप्पा होकर घूमता है। अपने आप को ईश्वर समझ अपने अतीत और भविष्य को भूल जाता है। मतदाताओं को सर्वोपरि बनाने का यह खेल चुनाव समाप्त होते ही सह-मात हो जाता है। चुनाव समाप्ति बाद मतदाता कोल्हू के बैल की तरह फिर से जिंदगी की जंग में पिसने लगता है। 

जब मतदाता चुनावों में सत्ता निर्धारक होता है तब मीडिया भी गजब की लाइनें लिखता है..
-मतदाता ने साधी चुप्पी, समीक्षक भी हैरान

-नेताओं का भाग्य मतदाता की मुठ्ठी में
-मतदाता बताएंगे,भ्रष्ठ नेताओं की औकात

-मतदाता तय करेंगे नेताओं का भाग्य
और इतना मीडिया द्वारा लिखने भर से मतदाता चढ जाता है ‘’चने के पेड़’’ पर और भूल जाता है अपने भूखे मरने की औकात। 
सितम तो तब होता है जब पार्टियां अपने घोषणा-पत्र वायदों की दुकान लगा दी और वोटर को मकान देने, टेबलेट, मुफ्त लोन आदि देने की घोषणा करती है। इतना भर सुनते मतदाता अपनी इच्छुक पार्टी का लाउडस्पीकर बन जाता है औऱ घसियारे की तरह नेताओं की बातों को गाता फिरता है।
लेकिन मतदाता भाइयो, खुद को पहचानों नेताओं के चुनाव में तुम गोता न लगाओ और सोच समझकर अपने मताधिकार को प्रयोग में लाओ...............................

आपका शुभचिन्तक 
सोमू आजाद